छिंदवाड़ा /--आदिवासी वर्ग का सर्वांगीण विकास राज्य सरकार की प्राथमिकता
छिन्दवाड़ा/आलोचना एक्सप्रेस
प्रदेश के आदिवासी समुदाय के सर्वांगीण विकास तथा उन्हें पूरा सम्मान और वाजिव हक दिलाने के लिये राज्य सरकार ने एक वर्ष की अवधि में कई अभिनव प्रयास किये हैं। इस अवधि में पूर्व प्रचलित योजनाओं और कार्यक्रमों पर तेजी से अमल किया गया। साथ ही आहार अनुदान, मदद, आष्ठान जैसी नयी योजनाएँ लागू की गयी। विभागीय योजनाओं का कम्प्यूटरीकरण किया गया। राज्य सरकार ने आदिवासी समुदाय के हितों के प्रति अपनी प्रतिबध्दता को प्रदर्शित करने के लिये इस वर्ष से 9 अगस्त विश्व आदिवासी दिवस के ऐच्छिक अवकाश को सार्वजनिक अवकाश घोषित किया।
ऋण माफी- मध्यप्रदेश अनुसूचित-जनजाति वित्त एवं विकास निगम एवं अन्य निगमों से अनुसूचित-जनजाति वर्ग के व्यक्तियों को दिये गये एक लाख रूपये तक की सीमा के ऋण माफ किये गये हैं। कुल 45 करोड़ की राशि माफ की गई है।
आहार अनुदान योजना- प्रदेश की प्रमुख जनजाति सहरिया, भारिया और बैगा परिवारों को कुपोषण से मुक्ति दिलाने की विशेष पोषण आहार योजना में प्रत्येक परिवार की महिला मुखिया के खाते में 1000 रूपये की राशि प्रतिमाह जमा करवाई जा रही है। इस वर्ष 2 लाख 21 हजार 519 महिलाओं को 155 करोड़ की राशि का वितरण किया गया है।
नवीन और अभिनव "मदद" योजना से मिलने लगी है मदद- जनजातीय समुदाय में जन्म, मृत्यु आदि संस्कारों पर सामाजिक भोज परम्परागत रूप से अनिवार्य माना जाता है। इन कार्यों में आदिवासी परिवारों को आर्थिक सहायता पहुँचाने के लिये 89 आदिवासी विकास खण्ड में मदद योजना शुरू की गई है। अब तक में 89 आदिवासी विकासखण्डों के 12 हजार 245 ग्रामों में 30 करोड़ की राशि बर्तन खरीदने के लिये उपलब्ध कराई गई है। जन्म के समय के कार्यक्रमों के लिये 50 किलोग्राम अनाज एवं मृत्यु के अवसर पर 100 किलोग्राम अनाज प्रति परिवार उचित मूल्य दुकान से दिलाये जाने की व्यवस्था भी इस योजना में की गई है।
आष्ठान योजना- प्रदेश के निवासी आदिवासियों की संस्कृति और उनके देव-स्थलों के संरक्षण के लिये नवीन आष्ठान योजना प्रारंभ की गई है। योजना में आदिवासी समुदायों के कुलदेवता और ग्राम देवी-देवताओं के स्थानों में निर्मित देवगुड़ी, मढ़िया और देवठान के निर्माण और जीर्णोद्धार, इन स्थानों पर आने वाले श्रध्दालुओं के विश्राम के लिये सामुदायिक भवनों का निर्माण तथा उनमें स्थित सभाकक्ष, पेयजल, स्नानागार आदि में विद्युत व्यवस्था के लिये बजट में प्रावधान किया गया है। इस वर्ष प्रथम चरण में छिन्दवाड़ा जिले के हरियागढ़, मण्डला जिले के चौगान, डिण्डोरी जिले के करवेमट्टा और रमेपुर, जबलपुर जिले के नरईनाला, झाबुआ जिले के बारहदेव और बड़वानी जिले के भँवरगढ़ (टंट्या भील) आदि आस्था केन्द्रों के संरक्षण और विस्तार का कार्य किया जा रहा है। राज्य सरकार के इस कदम का आदिवासी समुदायों में अच्छा स्वागत भी हुआ है।
वन अधिकार अधिनियम- आदिम-जाति कल्याण विभाग को वन अधिकार अधिनियम के अन्तर्गत दिसम्बर-2018 से 30 नवम्बर 2019 तक 3159 नवीन दावे प्राप्त हुए हैं। पूर्व के निराकरण के लिये लंबित सहित इस वर्ष 8683 दावों का निराकरण किया गया है। 5905 दावे मान्य और 2778 दावे अमान्य किये गये हैं। पिछले 11 माह में 1738 वन अधिकार-पत्र वितरित किये गये हैं। अधिनियम की प्रक्रिया को पारदर्शी बनाये जाने और निरस्त दावों के पुन: पुरीक्षण के लिये एम.पी. वन मित्र पोर्टल तैयार किया गया है। अब तक 24 हजार 509 दावेदारों द्वारा अपने दावे इस पोर्टल में दर्ज किये जा चुके हैं।
आदिवासी समुदाय का शैक्षणिक विकास- राज्य सरकार ने आदिवासी समुदाय के छात्र-छात्राओं की छात्रवृत्ति की प्रक्रिया को सरल बनाया है। अब छात्रवृत्ति की राशि विद्यार्थियों के खातों में चंद मिनटों में ट्रान्सफर हो रही है। विभाग की प्री-मेट्रिक और पोस्ट-मेट्रिक छात्रवृत्ति के माध्यम से आदिवासी वर्ग के बच्चों को पढ़ने के बेहतर अवसर मिल रहे हैं। करीब 19 लाख 60 हजार विद्यार्थियों को 333 करोड़ रुपये की छात्रवृत्ति वितरित की गयी। इस वर्ष 7 विद्यार्थियों को 82 लाख रुपये की विदेश अध्ययन छात्रवृत्ति दी गई। जेईई, नीट और क्लेट की प्रवेश परीक्षा की तैयारी के लिये 800 आदिवासी विद्यार्थियों को कोचिंग दी जा रही है। इस पर राज्य सरकार करीब 14 करोड़ 50 लाख की राशि खर्च कर रही है। जनजातीय वर्ग की बालिकाओं की शिक्षा और साक्षरता वृद्धि के लिये संचालित 82 कन्या शिक्षा परिसरों के संचालन के लिये 60 करोड़ रुपये से ज्यादा का प्रावधान है।
जनजातीय एवं अनुसूचित-जाति शिक्षण संवर्ग के अंतर्गत 53 हजार 235 अध्यापकों का नियमित संवर्ग में संविलियन किया गया है। इन अध्यापकों को नियमित कर्मचारियों की भाँति सुविधाएँ उपलब्ध कराने के लिये सेवा शर्तें जारी कर दी गई हैं। आदिवासी स्कूलों में रिक्त करीब 8000 उच्च माध्यमिक और माध्यमिक शिक्षकों के पदों की भर्ती की जा रही है। पिछले एक वर्ष में 9 कन्या शिक्षा परिसरों और 4 गुरुकुलम आवासीय विद्यालयों का एकलव्य में उन्नयन किया गया है और 13 नवीन एकलव्य विद्यालय खोले गये हैं। प्रदेश के 12 एकलव्य आवासीय विद्यालयों में उन्नत ऑडिटोरियम बनाने के लिये 13 करोड़ से ज्यादा की राशि मंजूर की गई है। पाँच कन्या शिक्षा परिसर का निर्माण पूरा किया गया है। आदिम जाति कल्याण विभाग के 36 विद्यालयों में नवीन भवनों के निर्माण और अतिरिक्त कक्षों</s
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